ZoRO TV- ने भारत, म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारों पर UNDRIP उल्लंघन का आरोप लगाया। 18 जुलाई 2025, Izaol: ZoRO ने संयुक्त राष्ट्र के 18वें विशेषज्ञ तंत्र सत्र:
(Expert Mechanism on the Rights of Indigenous Peoples—EMRIP)
ZORO TV -में भारत, म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संगठन का कहना है कि इन तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र के आदिवासी अधिकार घोषणा पत्र (United Nations Declaration on the Rights of Indigenous Peoples – UNDRIP) 2007 के नियमों का बार-बार उल्लंघन किया है, हालांकि ये देश इस घोषणा पत्र के हस्ताक्षरकर्ता भी हैं।
ZORO TV :आदिवासी भूमि और संसाधनों का स्वामित्व भाषा और उनकी संस्कृति की सुरक्षा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता का अधिकार आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्यों की अनुमति लेना ZoRO आरोप जेनेवा में ज़ोरो के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि भारत, म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारें ज़ो जनजाति के अधिकारों को अनदेखा कर रही हैं। संगठन ने बताया— यहां के आदिवासी समुदायों को उनकी भूमि, संस्कृति और पहचान से वंचित किया जा रहा है, हालांकि UNDRIP का पालन करना इन देशों की अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। ” जनजाति क्या हैं?
ZORO जनजाति मुख्य रूप से मिज़ोरम (भारत), चिन राज्य (म्यांमार) और चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (बांग्लादेश) में रहती है। ये लोग एक साझा भाषा, इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए हैं। लेकिन तीन देशों में विभाजित होने से इनके बीच राजनीतिक और भौगोलिक दूरी बढ़ी है। ZoRO का उद्देश्य ज़ो समुदाय के पुनर्मिलन और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
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Zo समुदाय की भारत में स्थिति ZoRO के अनुसार, मिज़ोरम और मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले ज़ो समुदाय को संवैधानिक रूप से अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है उनकी जमीन सीमा सुरक्षा और अधिग्रहण के लिए छीन दी जा रही है। उनकी सलाह को विकास परियोजनाओं में नहीं लिया जाता। सीमा विवादों के कारण उन्हें अक्सर स्थानांतरित करना पड़ता है। म्यांमार का हाल Zo जनजाति म्यांमार के चिन राज्य में बहुतायत में रहती है, लेकिन वहाँ सैन्य शासन और राजनीतिक अस्थिरता ने उनकी जिंदगी मुश्किल बना दी है।
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ZoRO बताता है कि— ज़ो क्षेत्रों में म्यांमार सरकार ने सेना की तैनाती बढ़ा दी है। मानवाधिकार उल्लंघन, जबरन श्रम और सांस्कृतिक दमन जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। आदिवासी समुदाय की शांति और विकास में भागीदारी सुनिश्चित नहीं की जा रही है। बांग्लादेश की तस्वीर Zo समुदाय बांग्लादेश के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (CHT) में रहता है। यहाँ भी भूमि विवाद और राजनीतिक उपेक्षा दो बड़ी समस्याएं हैं। ZoRO दावा करता है कि— CHT समझौते का पूरा पालन नहीं किया गया है।
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आदिवासी लोग अपनी जमीन खो रहे हैं क्योंकि बाहरी लोग उन पर बस रहे हैं। शिक्षा और रोजगार दोनों क्षेत्रों में भी अन्याय होता है। ज़ोरो की वैश्विक मांग ZoRO ने UNDRIP के नियमों का पालन करने के लिए जेनेवा सत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की मांग की। उनका अनुरोध था कि— 1. आदिवासी समुदायों के साथ तीनों देशों की सरकारें बातचीत शुरू करें। 2. जमीन और संसाधनों पर मूल अधिकार बहाल किए जाएं। 3. विकास कार्यों में खुली, पूर्वानुमानित और सूचित अनुमोदन (FPIC) नीति लागू करें।
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4. जनजाति के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए। संयुक्त राष्ट्र का स्थान UNDRIP लागू करने में सदस्य देशों को मदद करना और उसके पालन की निगरानी करना संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ तंत्र का लक्ष्य है। विभिन्न देशों और समुदायों के प्रतिनिधि विशेषज्ञ तंत्र में अपने अनुभव और चुनौतियों को साझा करते हैं। यदि किसी देश पर UNDRIP उल्लंघन का आरोप लगाया जाता है, तो उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डाला जा सकता है और सुधारात्मक कदम उठाने की सिफारिशें दी जा सकती हैं। आदिवासी अधिकार और समस्याएं आदिवासी समुदाय आज भी दुनिया के कई हिस्सों में विकास की मुख्यधारा से अलग हैं। प्रमुख बाधाओं में शामिल हैं—
संसाधनों और जमीन पर नियंत्रण भाषा और सांस्कृतिक विलुप्ति चिकित्सा और शिक्षा में कमी राजनीतिक अवहेलना पलायन और विस्थापन ZoRO के आरोप इस बड़ी समस्या की ओर इशारा करते हैं कि स्थानीय स्तर पर आदिवासी अधिकारों का हनन जारी है, हालांकि वैश्विक समझौतों के बावजूद। समझौता Zoro के इस कदम से ज़ो समुदाय और अन्य आदिवासी समूहों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने की प्रेरणा मिली है।
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ZORO TV ; UNDRIP एक शक्तिशाली कानूनी साधन है, लेकिन यह सिर्फ तब सफल होगा जब सदस्य देशों ने इसके नियमों का पूरी तरह से पालन किया होगा। भारत, म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारों को आदिवासी समुदायों को केवल सांस्कृतिक धरोहर के रूप में नहीं देखना चाहिए; वे उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की भी रक्षा करनी चाहिए।