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Shibu Soren शिबू सोरेन का अंतिम संदेश: झारखंड की आत्मा को अलविदा

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Shibu Soren ,शिबू सोरेन का निधन: एक आंदोलन की आवाज अब मौन हो गई

Shibu Soren शिबू सोरेन का अंतिम संदेश: झारखंड की आत्मा को अलविदा

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झारखंड राजनीति को झटका: आदिवासी नेता शिबू सोरेन नहीं रहेशिबू सोरेन की मौत से झारखंड में शोक की लहर, जानिए उनके संघर्ष की कहानी

शिबू सोरेन की मृत्यु: झारखंड की राजनीति ने एक युगपुरुष खो दिया। भारत और झारखंड की राजनीति में एक युग समाप्त हो गया है। झारखंड आंदोलन के जननायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके निधन की खबर ने पूरे देश को शोक में डाल दिया है, न सिर्फ झारखंड को। वे एक आंदोलनकारी, राजनीतिज्ञ और झारखंड राज्य की आत्मा थे। उनका जीवन सामाजिक न्याय, त्याग और संघर्ष की मिसाल रहा है। —–

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मृत्यु की जानकारी शिबू सोरेन का निधन [तारीख अपडेट करें] में हुआ। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, क्योंकि वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। चिकित्सकों ने उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन उनकी उम्र और बीमारी के कारण ऐसा नहीं हुआ। —– प्रारंभिक जीवन और background शिबू सोरेन ने 11 जनवरी 1944 को दुमका के नेमरा गांव में जन्म लिया था। आदिवासी समुदाय से आने वाले शिबू सोरेन का बचपन ही संघर्षों से भरा था। जब वे सिर्फ छह साल के थे, उनके पिता को ज़मींदारों ने मार डाला था। इस घटना ने उनका जीवन बदल दिया और अन्याय के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। सम्बन्धित लिंक पढ़ें: हेमंत सोरेन का जीवन परिचय —– झारखंड क्रांति का नेतृत्व 1972 में शिबू सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) बनाया था। झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाना और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना इस संगठन का लक्ष्य था। उनका जनांदोलन बेरोजगारी, भूमि अधिग्रहण और खनिज संपदा के शोषण के खिलाफ था। उनकी अगुवाई में झारखंड आंदोलन ने मजबूत होकर 15 नवंबर 2000 को भारत का 28वां राज्य बन गया। यह उनकी राजनीतिक बुद्धिमत्ता और जनता का समर्थन था। 👉 अधिक पढ़ें: झारखंड आंदोलन का इतिहास —– राजनीतिक कैरियर केंद्रीय कोयला मंत्री शिबू सोरेन ने दुमका से कई बार लोकसभा चुनाव जीते। झारखंड में भी तीन बार मुख्यमंत्री रहे: 1. पहली बार 2005 में 2. 2008 में फिर से 3. 2010 में फिर से हालाँकि उनकी सरकारें बहुत देर नहीं चल सकीं, लेकिन लोगों ने उनका बहुत सम्मान किया। 👉 अतिरिक्त जानकारी: झारखंड की राजव्यवस्था —–

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⚖️ विवादित, लेकिन लोकप्रिय, उनका राजनीतिक जीवन भी कुछ बहसों का विषय रहा। वह कई आपराधिक और राजनीतिक मामलों में बरी हुए। लेकिन जनता उन्हें सच्चे जननेता के रूप में मानती थी, इसलिए इन मामलों ने उनकी छवि पर बहुत असर नहीं डाला। —– 👨 👩 👦 पारिवारिक दायित्व JMM की विरासत अब उनके पुत्र, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की है। शिबू सोरेन का निधन सिर्फ एक व्यक्ति का निधन नहीं है; यह एक आदिवासी विचारधारा और संघर्ष का मौन हो जाना है। —– देशव्यापी शोक प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सामाजिक संगठनों और लाखों समर्थकों ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया। झारखंड सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा की है और शव को राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संदेश में शोक व्यक्त किया: शिबू सोरेन ने समाज के वंचित वर्ग के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया। उनकी सेवा अमूल्य है।” —–

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विरासत और सेवा शिबू सोरेन की सबसे बड़ी विरासत है—झारखंड राज्य की स्थापना। आदिवासी कानूनी हक की लड़ाई सामाजिक न्याय और जागरूकता का प्रसार राष्ट्रीय स्तर पर झारखंडी पहचान का सम्मान करना –— 🙏 अंतिम टिप्पणी शिबू सोरेन, जिन्हें “गुरुजी” कहा जाता था, आज नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, आंदोलन और प्रेरणा हमेशा रहेंगे। उनकी आवाज पूरे झारखंड में सुनाई देगी। —– 🖇 इंटरनल और एक्सटर्नल कनेक्टिविटी झारखंड के नवीनतम समाचार:

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🔗 TazaNewsLive (https://tazanewslive.com/ ) 🔗 शिबू सोरेन का विकिपीडिया प्रोफाइल (https://en.wikipedia.org/wiki/Shibu_Soren ) 🔗 हेमंत सोरेन के समाचार अपडेट ( )https://www.thehindu.com/news/national/jharkhand/shibu-soren-death-live-updates-august-4-2025/article69892152.ece —–

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