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Ranya rao:हाल ही में, रान्या राव गोल्ड स्मगलिंग मामले ने पूरे कर्नाटक और देश भर में चर्चा की है। अभिनेत्री रान्या राव पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दुबई से 14.2 किलो सोना, जिसका मूल्य लगभग ₹12–13 करोड़ था, छिपाकर भारत लाया था।

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Ranya rao:  हाल ही में, रान्या राव गोल्ड स्मगलिंग मामले ने पूरे कर्नाटक और देश भर में चर्चा की है। अभिनेत्री रान्या राव पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दुबई से 14.2 किलो सोना, जिसका मूल्य लगभग ₹12–13 करोड़ था, छिपाकर भारत लाया था।

 

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  Ranya rao:   इस मामले में उन्हें और उनके पिता, वरिष्ठ IPS अधिकारी डीजीपी रामचंद्र राव, को भी गहन जांच की जा रही है। उन्हें हाल ही में कर्नाटक सरकार ने डीजीपी (Directorate of Civil Rights Enforcement) के पद पर बहाल किया गया है। घटना: मार्च 2025 में Directorate of Revenue Intelligence (DRI) ने रान्या राव से बेंगलुरु एयरपोर्ट पर 14.2 किग्रा सोना बरामद किया।

 

    Ranya rao:  उन्होंने आरोप लगाया कि बिस्किट की तरह सोना अपने शरीर पर चिपकाकर ग्रीन चैनल से बाहर निकाल दिया, लेकिन कस्टम्स ने नहीं बताया। DRI ने बताया कि रान्या ने अपने प्रोफ़ेशनल नेटवर्क का लाभ उठाया, खासकर पुलिस प्रोटोकॉल सुविधा का। जांच में पता चला कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रामचंद्र राव के निर्देश पर एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने उन्हें सरकारी वाहन से बाहर निकलने में मदद की। —

 

  Ranya rao:     जांच और सरकारी कार्रवाई: प्रोटोकॉल सुविधा के दुरुपयोग की जांच: कर्नाटक सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गौरव गुप्ता को इस मामले की जांच करने का काम सौंपा. उनका काम था कि जश्निया सुविधाओं का गलत उपयोग हुआ या नहीं। DGP रामचंद्र राव पर लगाया गया संदेह: जांच समिति ने राव से पूछताछ की, उनके बयान दर्ज किए और फिर उन्हें मार्च 15, 2025 को अनिवार्य छुट्टी पर भेजा गया। CBI ने अन्य संस्थागत जांचों में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का केस दर्ज किया।

Enforcement Directorate (ED) ने भ्रष्टाचार की जांच शुरू की। कई जगहों पर भी संयुक्त छापेमारी की गई। DRI द्वारा समय पर चार्जशीट नहीं देने पर बैरल और कटौतीरान्या और उनके सह-आरोपी तरुण कुंडुरु राजू को बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने डिफ़ॉल्ट बेल (20 मई 2025) दे दी। पुनः बहाली और वर्तमान पद: 11 अगस्त से 12 अगस्त 2025 में, कर्नाटक सरकार ने डीजीपी के. रामचंद्र राव को आवश्यक छुट्टी वापस ले ली और उन्हें “Director General of Police, Directorate of Civil Rights Enforcement” के रूप में फिर से नियुक्त किया।

 

  Ranya rao:     इस कार्रवाई का अर्थ है कि सरकार ने जांच रिपोर्ट में कुछ पाया होगा जिसने उन्हें फिर से तैनात करने के लिए योग्य ठहराया होगा। इतना ही नहीं, हालांकि जांच सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, रिपोर्टों में कहा गया है कि उन्हें “निर्दोष पाया गया” है। 1. विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण: प्रशासनिक पुनर्गठन से सरकार का दावा है कि जांच-प्रक्रिया सक्षम और निष्पक्ष तरीके से पूरी हुई है। इसके बावजूद, इसमें सरकारी और राजनीतिक निर्णयों का स्पष्ट समावेश है।

 

2. विभाजित विश्वासनीयता: आम लोगों में सवाल उठ रहे हैं: क्या इस फैसले से पुलिस की पारदर्शिता प्रभावित होती है? सत्ता के दबाव से न्याय व्यवस्था प्रभावित न हो, यह चिंता बनी रहेगी। 3। नागरिक अधिकारों की संरचना: नागरिक अधिकारों की रक्षा से संबंधित इस पद के लिए उन्हें Directorate of Civil Rights Enforcement का नेतृत्व सौंपना एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नियुक्ति से प्रशासन का लक्ष्य और तेज हो गया है। —निष्कर्ष रान्या राव के सोना तस्करी मामले ने बॉलीवुड की एक विवादास्पद पारिवारिक कहानी के अलावा पुलिस प्रशासन और उसकी निर्णय क्षमता पर भी सवाल उठाए।

IPS अधिकारी के. रामचंद्र राव की फिर से बहाली ने दिखाया कि निष्पक्ष जांच के बाद प्रशासन अपने उच्च अधिकारियों को उनका काम वापस सौंप सकता है। इसके बावजूद, यह मामला एक चेतावनी भी है कि न्यायपालिका और प्रशासन में पारदर्शिता, प्रभाव और जवाबदेही कायम रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह पुनः बहाली किस हद तक न्यायसंगत और उचित रही, यह आने वाले समय में सार्वजनिक और मीडिया की प्रतिक्रिया से निर्धारित होगा

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