हेमंत सोरेन के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मिले अरविंद केजरीवाल, जानिए मुलाकातों की वजह
हेमंत सोरेन के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मिले अरविंद केजरीवाल, जानिए मुलाकातों की वजह:
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। इस मुलाकात ने इसलिए भी ध्यान खींचा क्योंकि इससे पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उपराष्ट्रपति से मिले थे। दोनों नेताओं की इन मुलाकातों को सामान्य शिष्टाचार का हिस्सा बताया जा रहा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की नजरों में इसके गहरे राजनीतिक संकेत छिपे हो सकते हैं।
अरविंद केजरीवाल की मुलाकात की टाइमिंग क्यों खास?
अरविंद केजरीवाल की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब आम आदमी पार्टी कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल खुद जेल जा चुके हैं और फिलहाल अंतरिम जमानत पर बाहर हैं। इसके अलावा दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच भी लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है। इस पृष्ठभूमि में उपराष्ट्रपति से मुलाकात को केवल ‘शिष्टाचार भेंट’ मान लेना शायद जल्दबाज़ी होगी।
उपराष्ट्रपति की भूमिका और महत्व
उपराष्ट्रपति देश के संविधानिक ढांचे में एक अहम भूमिका निभाते हैं। वह राज्यसभा के सभापति होते हैं और राज्यसभा की कार्यवाही को संचालित करते हैं। दिल्ली से संबंधित कई विषय राज्यसभा में उठते हैं, जिनमें केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर बहस होती है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल द्वारा उपराष्ट्रपति से मुलाकात करना यह संकेत दे सकता है कि वह उच्च स्तर पर संवाद स्थापित कर रहे हैं ताकि राजनीतिक और प्रशासनिक गतिरोध को सुलझाया जा सके।
हेमंत सोरेन की मुलाकात से तुलना
हेमंत सोरेन भी हाल ही में उपराष्ट्रपति से मिले थे। ईडी की जांच और गिरफ्तारी के बाद रिहा हुए हेमंत सोरेन अब फिर से सत्ता में लौटने की तैयारी में हैं। उनकी मुलाकात को भी राजनीतिक संदेश देने के रूप में देखा गया। ऐसे में केजरीवाल की मुलाकात को उसी कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है — यानी विपक्षी नेता उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों के साथ संवाद कर केंद्र के रवैये और कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।
आम आदमी पार्टी की रणनीति
आम आदमी पार्टी, खासकर केजरीवाल, खुद को विपक्ष का मजबूत स्तंभ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ‘इंडिया’ गठबंधन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। अब जब पार्टी को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा लगातार घेरा जा रहा है, तो केजरीवाल का उपराष्ट्रपति से मिलना यह दर्शाता है कि वे संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर रहकर न्याय और संवाद की राह चुन रहे हैं।
भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना?
हालांकि इस मुलाकात के बाद किसी भी राजनीतिक दल की ओर से सीधा बयान नहीं आया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह एक ‘सॉफ्ट विरोध’ की रणनीति हो सकती है। इससे यह संदेश भी जा सकता है कि विपक्ष के नेता अब सीधे तौर पर संवैधानिक संस्थाओं से संवाद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें सरकार से न्याय नहीं मिल रहा।
हेमंत सोरेन के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मिले अरविंद केजरीवाल, जानिए मुलाकातों की वजह:
अरविंद केजरीवाल की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात को भले ही औपचारिक और शिष्टाचार भेंट बताया गया हो, लेकिन इसकी राजनीतिक अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह मुलाकात देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति और विपक्षी नेताओं के भविष्य की रणनीतियों की झलक देती है। आने वाले दिनों में अगर इसी तरह के और भी संवाद देखने को मिलते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि विपक्ष संवैधानिक संस्थाओं के माध्यम से अपने लिए एक सुरक्षित और प्रभावी मंच तलाशने की कोशिश कर रहा है।